Poem on Maa – मां पे कविता।

बिलकुल, माँ पर एक भावुक और दिल को छू जाने वाली कविता पेश है — माँ के प्यार, त्याग और ममता को समर्पित:


माँ – एक ममता की मूरत

थक जाता हूँ जब इस दुनिया के मेले में,
तो माँ की गोद ही मिलती है सुकून के घेरे में।
उसके आँचल की छाँव में जो सुकून मिलता है,
वो न तो बाज़ार में है, न किसी और हवेली में।

वो खुद भूखी रहकर भी मुझे खिलाती थी,
मेरे आँसू देखकर रात भर जाग जाती थी।
ना पूछो उसकी ममता की कोई मिसाल,
वो हर दर्द को खुद पर ले, मुझे मुस्कुराना सिखाती थी।

जब भी गिरा, उसकी दुआओं ने थाम लिया,
जब भी डरा, उसके प्यार ने बाहों में थाम लिया।
जैसे खुदा ने धरती पर भेजा हो एक फरिश्ता,
जिसने बिना कुछ माँगे, सब कुछ कुर्बान किया।

आज भी जब परेशान होता हूँ,
तो सबसे पहले ‘माँ’ ही याद आती है।
कभी नहीं कहती ‘थक गई हूँ’,
बस मुस्कुरा कर हर दर्द छुपा जाती है।

हे माँ! तू नहीं तो कुछ भी नहीं,
तेरे बिना ये ज़िंदगी अधूरी सी लगती है।
तेरे चरणों में ही है जन्नत का रास्ता,
तू ही मेरी पूजा, तू ही मेरी भक्ती है।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top