कविता: “अनजाने लोग”
चलते-चलते राहों में,
कुछ चेहरे ऐसे मिल जाते हैं,
बिना कहे ही कुछ कह जाते हैं,
अनजाने होकर भी दिल को छू जाते हैं।
न नाम पता, न कोई रिश्ता,
फिर भी कुछ एहसास दे जाते हैं,
भीड़ में एक सुकून सा बनकर,
थोड़ी देर को खास बन जाते हैं।
कभी किसी मुस्कान में,
कभी किसी मदद के पल में,
अनकहे अपनापन लिए,
वो दिल के भीतर घर कर जाते हैं।
कुछ लोग आते हैं यूँ ही,
जैसे हवा का कोई झोंका,
छूकर निकलते हैं, पर
एक नरम सी याद छोड़ जाते हैं।
शायद यही है ज़िंदगी की खूबसूरती,
हर मोड़ पे कोई नया रंग है,
अनजाने लोग भी कभी-कभी,
सबसे गहरा संग हैं।